मन की ख़ामोशी ,
तन की ख़ामोशी.
ख़ामोशी इच्छाओं की ,
अरमानो की ख़ामोशी ,
सच को जान कर उसे न कह पाने की ख़ामोशी ,
बिन वर्षा प्यासी धरती की ख़ामोशी ,
बिन जल धारा तडपती नदी की ख़ामोशी ,
लहरों की हलचल में समुन्दर की ख़ामोशी ,
अत्याचारी निजाम में घुट घुट जीती आवाम की ख़ामोशी कब टूटेगी चारों और पसरी अविश्वास की ख़ामोशी ,
कब तोड़ेंगे हम ये ख़ामोशी ..........?
Tuesday, August 22, 2017
थोड़ी सी बेगारी कर लें
अम्बर की पगडण्डी पे ,
हवा की सवारी ले कर
चंदा की सैर कर लें
सूरज की सैर कर लें
खाली है जेब तेरी ,
और खाली है पेट
हवा का कलेवा कर ले
पानी से पेट भर ले
कर दिया है शुरू अब
जूतों ने मुँह खोलना
कि घिसने लगें हैं पांव
थोड़ी सी बेगारी कर लें थोड़ी सी बेगारी कर लें............
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