Thursday, December 6, 2012


इस शब के सितारे की खामोश गुज़र देखी,
बादल से मोहब्बत का पलभर ही अँधेरा है!

यह वो मयकश है , जो प्यास जगाता है
कभी राह दिखाता है, कभी राह भुलाता है !!

 
छू लेता है, तेरा लिखा हर लफ्ज़ रूह को ,

हर नज़्म तेरी,  इस जिस्म की हरारत है !

फ़क़त यादों की नुमाइश हैं, हर्फों के मेले हैं

वर्ना इस सेहरा सी जिंदगी में रखा क्या है !!