मन की ख़ामोशी , तन की ख़ामोशी. ख़ामोशी इच्छाओं की , अरमानो की ख़ामोशी , सच को जान कर उसे न कह पाने की ख़ामोशी , बिन वर्षा प्यासी धरती की ख़ामोशी , बिन जल धारा तडपती नदी की ख़ामोशी , लहरों की हलचल में समुन्दर की ख़ामोशी , अत्याचारी निजाम में घुट घुट जीती आवाम की ख़ामोशी कब टूटेगी चारों और पसरी अविश्वास की ख़ामोशी , कब तोड़ेंगे हम ये ख़ामोशी ..........?
Sunday, June 13, 2010
मगर मैं खामोश रहूँ ...
हर जगह दर्द है पसरा ,
टीस सी दिल में बढ़ रही ,
बढ़ रही है ज़ख्मों में कसक ,
मगर मैं खामोश रहूँ। ....
फैल गए हैं स्वार्थ ,
समाज में सभ्य बनकर
अब झूंठ बिक रहा है,
सच की आड़ लेकर
मगर मैं खामोश रहूँ......
सड़क पे इंसान की लाश ,
वाहनों की रेलमपेल में
रुन्द्ती रही बार बार ,
बतियाते, आ जा रहे थे लोग
मगर मैं खामोश रहूँ। ..
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