Sunday, July 10, 2011

मयकशे खामोश हुए




मयकशे खामोश हुए , साकी के चले जाने के बाद,
की अब ये होश फ़ना हैं होश में आ जाने के बाद !!

सब कुछ लुटा दिए , तिशनगी में आपकी ,
आँख से अश्क , मांगे हैं हिसाब आप के जाने के बाद !!

कहा है दिल से ज़ज्ब कर ले ज़फ़ा की रवायत ,
की ये कोई क़यामत तो नहीं, इतना सहने के बाद !!

ऐ दिल , उसने उल्फत की , चाहे खेला ही सही ,
शायद याद आऊँ कभी ,मैं भी मिट जाने के बाद !!

हमने इंतज़ार किये बेसबब पर वो ना आई कभी ,
ये उम्मीद की वो आये वहां ,मेरे घर जाने के बाद !!

इन कंटीली यादों से किनारा कर लें ' ऐ तल्ख़' ,
की ना फिर याद आयें वो , सब भूल जाने के बाद !!






प्रवीश दीक्षित 'तल्ख़'