मन की ख़ामोशी ,
तन की ख़ामोशी.
ख़ामोशी इच्छाओं की ,
अरमानो की ख़ामोशी ,
सच को जान कर उसे न कह पाने की ख़ामोशी ,
बिन वर्षा प्यासी धरती की ख़ामोशी ,
बिन जल धारा तडपती नदी की ख़ामोशी ,
लहरों की हलचल में समुन्दर की ख़ामोशी ,
अत्याचारी निजाम में घुट घुट जीती आवाम की ख़ामोशी कब टूटेगी चारों और पसरी अविश्वास की ख़ामोशी ,
कब तोड़ेंगे हम ये ख़ामोशी ..........?
Thursday, September 17, 2009
जिस तरह गुंचा गुंचा मुस्कुराये गुलज़ारों में हमेशा , जगमगाहट बढ़ती जाए आसमानों में हमेशा । उसी तरह तू भी मुस्कुराये फिजाओं में हमेशा , सुरेते नूर दमकता रहे तेरा , सभी आफताबों में हमेशा॥