Thursday, September 17, 2009

जिस तरह गुंचा गुंचा मुस्कुराये गुलज़ारों में हमेशा ,
जगमगाहट बढ़ती जाए आसमानों में हमेशा ।
उसी तरह तू भी मुस्कुराये फिजाओं में हमेशा ,
सुरेते नूर दमकता रहे तेरा , सभी आफताबों में हमेशा॥

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