Wednesday, September 23, 2009

तेरा गांव

हमारी आँखों में फ़िर से देखो ,
तुम्हारी सूरत छिपी हुईहै।
हमारे दिल के सफे को पलटो ,
नाम तुम्हारा लिखा हुआ है।
हमारी सांसो की हर रवानी में,
महक तेरे केसुओं की आ रही है।
हमारे होटों से जो लफ्ज निकला ,
खुदा कसम, तेरी वफ़ा में निकला ।
जो हाथों से की हमने लिखने की कोशिश ,
तो हर एक हर्फा तेरा नाम निकला ।
पांवों ने जब भी करी कोई जुम्बिश ,
तो नतीजा हमेशा तेरा गांव निकला ।

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