Monday, November 17, 2014

वो मेरे क़रीब से .....



वो मेरे क़रीब से ,
कुछ यूँ गुजर गया।
आहटें कदमों की
इस दिल को दे गया।।
धड़कनों का कारवां ,
निकल पड़ा मंज़िलों की तलाश में।
मंज़िल पे उसे पाया ,
तो जाना फ़क़त छलावा था
'दयार' में।।  

              प्रवीश दीक्षित'तल्ख़'

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