Monday, August 29, 2011

तमाशबीनों की भीड़ में खो गया....

आज तमाशबीनों की भीड़ में खो गया वो ,
चेहरा जो मेरा था , ना जाने किसका हो गया

हमने कई बार पुकारा अपने नशेमन से उसे ,
अब तक मेरा था , अचानक पराया हो गया!!

दिल के गुनाह की सजा , इस रात को मिली ,
पलक झपकी ही थी की फिर सवेरा हो गया !!

सायबान रोशन थे जिसके नूर से अब तलक ,
वो चाँद किसी और आसमां में दाखिल हो गया !!

सैलाब भरा है आँखों में,मगर संभाले भी कैसे ,
ये दिल इस कदर टूटा और धज्जियाँ हो गया!!

वफ़ापरस्ती के बदले जो इनाम बख्शा है हमें ,
वो पल में ही मोहब्बत को बदनाम कर गया !!

ये बस खयालातों की 'धींगामस्ती' रही ,ऐ 'तल्ख़'  ,
वो जिस्म तो छोड़ गया, मगर रूह साथ ले गया !!

प्रवीश दीक्षित 'तल्ख़'

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