मैं बिखर रहा था राद-ए-गुल की तरह ,
तुने सहेजा और ज़ुल्फ़ में सजा लिया !
तुने सहेजा और ज़ुल्फ़ में सजा लिया !
किसी बिछोने की सलवट सी थी ये जिंदगी ,
तुने संभाला , सजाया और सेज में ढाल लिया !
तुने संभाला , सजाया और सेज में ढाल लिया !
मैं सेहरा में पड़ा था , बेजान रेत की तरह ,
तू बूंद बन कर गिरी ये जीवन संवार दिया !
तू बूंद बन कर गिरी ये जीवन संवार दिया !
एक पत्थर था मैं , इसके सिवा कुछ नहीं ,
तेरा हाथ लगा, और मुझे मूरत बना लिया !
तेरा हाथ लगा, और मुझे मूरत बना लिया !
कैसे शुक्र अदा करें तेरे अहसान का 'ए तल्ख़',
की जो उम्मीद थी खुदा से, तुने अदा किया !!
की जो उम्मीद थी खुदा से, तुने अदा किया !!
प्रवीश दीक्षित'तल्ख़'
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