Thursday, July 7, 2011

आज शाम धुंधली है






आज शाम धुंधली है कहीं किसी का घर जला होगा,

बड़ी ख़ामोशी है यहाँ चीखों का कारोबार हुआ होगा !!



शहर के चौक में गूंज रही हैं ,जवान सिसकियाँ ,

की फिर वहां हैवानियत का नाच हुआ होगा !!



आज फिर किसी की मासूमियत का क़त्ल हो गया,

की ना जाने किस माँ का कलेजा चाक हुआ होगा !!



शिक्षा के मंदिर में एक मनहूसियत सी फैली है

की फिर यहाँ शिक्षा का बलात्कार हुआ होगा !!



तमाम अस्पताल और बाज़ार अटे पड़े हैं लाशों से ,

की यहाँ किस कदर मुर्दा जिस्मो का व्यापार हुआ होगा !!



आइये हम भी अपने जिस्म की रगें टटोलें

की कभी तो इनमे भी लहू का उबाल हुआ होगा !!



आज फिर से दिल्ली में जश्न का माहौल है ' तल्ख़'

की फिर मुल्क की आवाम का हक खाक हुआ होगा !!



प्रवीश दीक्षित 'तल्ख़'

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