Monday, June 27, 2011

यादें





नहीं जानिब कोई अपना ,
तो सहारा देती हैं यादें !
कहीं दिल टूटते हैं तो ,
मलहम बन जाती है यादें
वो यादें ही होती हैं ,
जो बिछड़ों को मिलाती हैं!
जो खुशियाँ ढूंढ़ लें गम से,
ऐसी हमदम होती हैं यादें !!'


प्रवीश दीक्षित 'तल्ख़'

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