Friday, August 16, 2013

ख्याल ने खामोशियों को.....




ख्याल ने खामोशियों को

ओढ़ लिया है  इस तरह ,

हम हैं की फ़क़त

झींगुरों के इजहार सुने जा रहे हैं

कोई चुप है तो कोई सुन रहा है ,

कोई थम गया तो कोई चल रहा है!

आज हर शख्स अपाहिज है

इंसान , रास्ते और मंजिलें ,

वक़्त चल रहा है , तब वहां था, अब वहां है

नादान है वो सब जो जीत पे इतराते हैं

देख वक़्त फिर वहीँ खड़ा हंस रहा है

तूफ़ान तो आकर गुजर ही जाते हैं अक्सर ,

बर्बादी की दास्ताँ कहने को साहिल खड़ा है
 
प्रवीश दीक्षित'तल्ख़' 

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