Monday, November 1, 2010

दीपों के इस पर्व पर ...



राह कैसी भी हो लेकिन ,
सत्य के पथ पर चलें हम,
उद्देश्य से भटकें नहीं ।
दीपों के इस पर्व पर
'पुरुष पुरातन कि वधु' का ,
हर्षमय स्वागत करें हम ॥
करके घरों में हम रंगोली के
रंगों कि चित्रकारी , इस धरा को,
एक नया अवतार दे दें ।
जगमग दीयों कि रौशनी से ,
मन के तिमिर को दूर कर दें
आओ मिल के 'विष्णुप्रिया' का ,
तेजोमय स्वागत करें हम ।।

ले, मन में उमंग , अपनों के संग
सपनों का संग , जीवन तरंग ,
उल्लासमय से इन पलों को
अपने ह्रदय में कैद कर लें ।
आओ मिल के 'धनदायनी 'का ,
शुभ्रमय स्वागत करें हम ॥

रख के उज्जवल मन में
निर्मल विचारों कि श्रेणियां ,
प्रेम बांटे , प्रीत बांटे ,
आज भर के झोलियाँ
दीपों के इस पर्व पर
आओ मिल के 'सुखदायनी ' का ,
आनंदमय स्वागत करें हम

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