मन की ख़ामोशी ,
तन की ख़ामोशी.
ख़ामोशी इच्छाओं की ,
अरमानो की ख़ामोशी ,
सच को जान कर उसे न कह पाने की ख़ामोशी ,
बिन वर्षा प्यासी धरती की ख़ामोशी ,
बिन जल धारा तडपती नदी की ख़ामोशी ,
लहरों की हलचल में समुन्दर की ख़ामोशी ,
अत्याचारी निजाम में घुट घुट जीती आवाम की ख़ामोशी कब टूटेगी चारों और पसरी अविश्वास की ख़ामोशी ,
कब तोड़ेंगे हम ये ख़ामोशी ..........?
Saturday, September 12, 2009
जुल्फों के पीछे से , निगाहों की हलचल, हम ही नासमझ थे , जो इशारा ना समझे । फलसफा ये है किइश्क बेजुबान होता है , मगर इसकी कसक में हमने पत्थरों को बोलते देखा है।
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