Saturday, September 12, 2009

यादों की जुगाली

रैन हमने सारी करवटें बदल कर काटी ,
चलती रही मन में तेरी यादों की जुगाली ।
हसरतों का पसीना , बह कर बदन से निकला ,
बेकस जज्बों का दरिया , आंसुओं में ना निकला॥
तनहाइयों की कातिल आहट तेरे कदम की ,
करती है कोई जुम्बिश , रह - रह कर मेरे दिल में।
दूर है तू फ़िर भी लगता है ऐसा दिल को ,
महकती हों तेरी सांसे मेरी चाहतों के चमन में।

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